धान में सफेद तितली
लेखक: नीलेश शर्मा | दिनाँक: अगस्त 30, 2024
धान में सफ़ेद तितली का प्रकोप
धान में सफेद तितली कीट का प्रकोप समानता दिखाई देता है। यह एक प्रकार का स्वेत तितली या ख़ुदका होता है जो धान की नर्सरी अवस्था से ही आक्रमण प्रारंभ कर देता है तथा रोपाई के 1 से 2 माह तक धान की फसल को अधिक नुकसान पहुंचता है। अधिक प्रकोप होने पर यह है 20 से 30% तक पौधे को नष्ट कर देता है। यह दूधिया या भूरे रंग का मातकुंड धान का एक प्रमुख शत्रु है। यह धान के पौधों की पत्तियों को काटकर स्वयं के लिए रहने योग्य संरचना बनता है और धान के पौधों की पत्तियों को दाईं ओर से अपने कैंचीनुमा दांतों से काट देता है।
धान में सफेद तितली कब लगती है।
धान में सफेद सफेद तितली का प्रकोप नर्सरी अवस्था से ही प्रारंभ हो जाता है और यह वर्ष भर सक्रिय रहता है जहां पूरे वर्ष भर धान की फसल रहती है। वहां इसका प्रकोप अधिक दिखाई देता है उत्तर भारत में यह मई के महीने धान की प्रारंभिक अवस्था से लेकर धान की मुख्य फसल के कटने अर्थात नवंबर माह तक सक्रिय रहता है।
यह प्रारंभ में जब धान की बुवाई होती है और पौधे जब अपने कल्लों को निर्मित करना शुरू करते हैं तो यह उन पौधों को हानि पहुंचकर अपना पोषण करता है।
धान में सफेद तितली के लक्षण
धान में सफेद तितली का प्रकोप पौधों की पत्तियों पर दिखाई देता है। यह पत्तियों को पूरी तरह काटकर या समकोण पर काटकर पत्तियों को चूसकर नीचे पानी में गिरा देता है या स्वयं के लिए उन पत्तियों को मोड़कर आवरण बना लेता है। धान में यह सफेद तितली का प्रकोप जब चरम पर होता है तो पौधों की पत्तियां रस चूसण के कारण सफेद होकर गिर जाती हैं जिससे धान की फसल सर्वाधिक प्रभावित होती है। व धान के पौधे बौने हो जाते हैं।धान में सफेद तितली के कारण जब पौधे प्रभावित होते हैं तो उनकी शक्तियों में कमी आ जाती है और परिपक्वता में देरी होने के कारण किसान को उत्पादन में हानि हो जाती है।
धान में सफेद तितली के उपाय व नियंत्रण
धान की फसल में सफेद तितली का प्रकोप होने पर इसका नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक है। धान में सफेद तितली फसल को 20 से 30% तक हानि पहुंचा सकती है जिससे धान की पैदावार में कमी व आर्थिक क्षति होती है। धान में सफेद तितली के प्रकोप को निम्न प्रकार नियंत्रित किया जा सकता है।
- 1.धान की नर्सरी में 20 से 30 दिन के पौधे हो जाने पर रोपण करके
- 2. धान के पौधों की रोपाई होने पर उनके मध्य 30*20 सेंटीमीटर की दूरी रखकर सफेद तितली को नियंत्रित किया जा सकता है।
- 3.धान की फसल में खेत में समानता पानी भर कर रखने से इसको नियंत्रित किया जा सकता है।
- 4.धान की फसल में निम्न रासायनिक छिड़कावों के द्वारा नियंत्रित।
नर्सरी अवस्था में -
धान की फसल में सफेद तितली का प्रकोप है तो इसमें 100 मिलीलीटर मिट्टी का तेल ,40 मिली, मोनोक्रोटोफॉस व 30 मिली एंडोसल्फैन का मिश्रण बनाकर प्रति एकड़ फसल में छिड़काव करने पर सफेद तितली को नियंत्रित किया जा सकता है।
मुख्य खेत में रोपाई हो जाने पर -
यदि धान की फसल की रोपाई हो चुकी है एवं धान के पौधे जब कल्ले देना प्रारंभ कर चुके हैं। उस समय सफेद तितली का प्रकोप होने पर 160 मिली phenthoate 50% EC को प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने पर इसको नियंत्रित किया जा सकता है।
ध्यान दे :- "उपयुक्त लेख में दी गई जानकारी स्वयं के अनुभव व शैक्षणिक स्रोतो के माध्यम से प्राप्त करके प्रस्तुत की गई है"